उत्तर प्रदेशजालौन

जरुरी है कोरोना योद्धाओं के सम्मान की भी सुरक्षा

बीमारी से गर बनानी है दूरी तो आशा कार्यकर्ता की बात माना है जरूरी
जनपद कुल 1252 आशा कार्यकर्ता कर रही है कार्य
उरई/जालौन। कोरोना योद्धा का शब्द सिर्फ बीमारी से लडऩा नहीं बल्कि बीमार व्यक्तियों की खीझ और उनके गुस्से का सामना करते हुए उनमें ऐसा आत्मविश्वास भरना भी होता है, जिससे मरीज कोरोना सरीखी महामारी का डटकर मुकाबला कर सके। इसके लिए कई बार इन योद्धाओं को दिलों को नश्तर की तरह चुभने वाले शब्दोंए लोगों की अभद्रता और यहां तक कि थाने चौकी तक का सामना करना पड़ता है।

ऐसा ही वाक्या है विकासखंड नदीगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत ऊंचागांव का। जहां की कोरोना योद्धा यानि की आशा कार्यकर्ता चंद्रकुमारी को जब एक दिन सुबह सुबह पता चलता है कि रात में दो बजे उत्तर प्रदेश के सिंगरौली नगर से सपरिवार दो तीन लोग आए हैं। वह तत्काल उन्हें क्वारंटीन करने के लिए उनके घर जाती है और उन्हें जागरूक करते हुए सुरक्षा की दृष्टि से जानकारी देती है कि वे लोग 21 दिनों तक अपने घर पर ही रहे। उनके घर न कोई आएगा और न वे ही किसी के घर जाएंगे। मास्क लगाकर रखेंगे और समय समय पर साबुन अथवा सैनेटाइजर से हाथ भी धोएंगे। यह सब समझाते हुए चंद्र कुमारी अभी परिवार के घर के बाहर दरवाजे पर सावधानियां लिखा पर्चा चस्पा कर रही थी कि तभी उस परिवार की एक महिला सावित्री देवी उस पर्चे को निकालकर फाड़ देती हैं और अभद्रता करने लगती हैं। इसके साथ ही जान से मारने की धमकी देती है परंतु आशा कार्यकर्ता चंद्रकुमारी उनको लगातार समझाती है यह उनका काम है और इससे सावित्री के परिवार की ही भलाई है। इसके बाद भी जब अभद्रता करने वाली महिला नहीं मानी तो मजबूरन आशा को अपने उच्च अधिकारी नदीगांव सीएचसी चिकित्सा अधीक्षक देवेंद्र कुमार भिटौरिया व बीसीपीएम मुनीष कुमार शर्मा को पूरी घटना की जानकारी देनी पड़ी। कहीं से कोई मदद मिलती न देख मजबूरन आशा वर्कर को कानून का सहारा लेना पड़ता है। आशा प्रार्थनापत्र लेकर थाना कैलिया पहुंचती है और दूसरे दिन उस प्रार्थनापत्र पर एफाईआर भी दर्ज हो जाती है। ऐसी ही एक घटना ग्राम खुटेला की है। जहां पर आशा पर जानलेवा हमला हुआ लेकिन ग्राम में रहने के कारण दबाव बनाकर प्रधान ने थाना कैलिया में मुकदमा पंजीकृत होने के उपरांत भी समझौता कराने पर दबाव बना लिया और आशा को अपनी लड़ाई बंद करनी पड़ी। यह मामले दर्शाते है, कि जमीनी स्तर पर कार्य कर रही कोरोना योद्धा आशा कार्यकर्ता की बातों को लोग गंभीरता से न लेकर अपने आप के लिए ही समस्या खड़ी कर रहे है। इस बाबत नदीगांव के बीसीपीएम मुनीश कुमार शर्मा का कहना है कि उन्होंने इन दोनों मामलों में आशाओं की मदद की।

जिम्मेदारी से काम कर रही आशाएं :-
डीसीपीएम डा. धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि जिले में ऐसी कई घटनाएं हुई है। लेकिन आशाओं ने डटकर अपने काम को अंजाम दिया है। घर घर जाकर सर्वे करने वाली टीम ने लोगों को न सिर्फ जागरुक किया है। बल्कि शहर में एक टीम के कहने पर एक महिला ने जांच भी कराई थीए तो वह कोरोना पाजिटिव निकली। जो भी मामले उनके संज्ञान में आते है, वह उसमें मदद करते है। इस समय जिले में 1207 ग्रामीण और 45 शहरी समेत 1252 आशा कार्यकर्ता कार्य कर रही है।

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