कोंच/जालौन। जिस दिन से जिला पंचायत की टीम ने कोंच स्थित अपने उस भूखंड जिस पर बस स्टैंड स्थापित है, का निरीक्षण कर अपनी परिसंपत्तियों पर पसरे अतिक्रमण को हटाने की बात कही है उस दिन से नगर पालिका और जिला पंचायत के बीच पूर्व में हुए अनुबंध को लेकर पालिका का संचालन कर चुके लोग अपने अपनेे पक्ष साफ करनेे मेें लगेे हैें। रविवार को निवर्तमान पालिकाध्यक्षा विनीता सीरौठिया के प्रतिनिधि रहे पूर्व बारसंघ अध्यक्ष विज्ञान विशारद सीरौठिया ने भी एक प्रेस वार्ता बुला कर अपनी सफाई में कहा कि विनीता के कार्यकाल के दौरान की एक भी पैसे की बकाएदारी जिपं की नहीं है।
विनीता का कार्यकाल खत्म होने से दो दिन पहले ही जिला पंचायत की सारी देनदारियों का भुगतान पालिका द्वारा बजरिए तीन चेकों द्वारा कर दिया गया था जिसमें 24 हजार की चेक सं. 8455 दिनांक 4 जुलाई 2015 को, 1 लाख 64 हजार चेक सं. 009458 दिनांक 14 जुलाई 2015 तथा 89 हजार 50 चेक सं. 020261 दिनांक 22 जुलाई 2017 को भुगतान भेजा गया था जिसे जिला पंचायत ने स्वीकार किया था। उन्होंनेे बताया कि अनुबंध पत्र की धारा 12 में स्पष्ट उपबंध है कि यदि कोई विवाद दोनों पक्षों जिला पंचायत व नगर पालिका के बीच प्रश्नगत भूमि को लेकर उठता है तो उसका फैसला दोनों पक्षों के अध्यक्ष आपसी तौर पर बैठ कर निपटाएंगे और न निपटने की दशा में मामला कमिश्नर झांसी को सौैंपा जाएगा और उनका निर्णय दोनों पक्षों को मान्य होगा। इसके अलावा यह भी कहा, संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 116 में यह प्रावधान है कि यदि पट्टा अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी स्वामी द्वारा किराया स्वीकार किया जाता है और पट्टेदार कब्जे में बना रहता है तो पट्टेदारी स्वत: ही नवीनीकृत मानी जाएगी। दरअसल, ये सारा मामला बस स्टैंड को लेकर है जिसके सोशल मीडिया पर आने के बाद कि बस स्टैंड को लेकर जिपं और नगर पालिका के बीच हुआ करार निरस्त कर दिया गया है, नागरिकों द्वारा की जा रहीं तरह तरह की टिप्पडिय़ों के बाद बहस का एक मुद्दा बन गया है जिसके चलते लोगों को अपनी अपनी बात साफ करनी पड़ रही है।