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अक्षय तृतीया के दिन बन रहे हैं दो बड़े योग : पं. संजय रावत शास्त्री

कोंच। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। अबूझ मुहूर्त का अर्थ है कि इस दिन कोई भी शुभ काम करने के लिए हमें निश्चित शुभ मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है। अक्षय तृतीया के दिन का हर पल बेहद शुभ होता है। ऐसे में इस वर्ष अक्षय तृतीया के मौके पर दो महत्वपूर्ण और शुभ योगों का संयोग भी बन रहा है जो इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ाने का काम करेगा।अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षिणी सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्योतिर्विद पं. संजय रावत शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष अक्षय तृतीया 14 मई को है। इस मौके पर लक्ष्मी नारायण योग और गजकेसरी योग बन रहा है। अक्षय तृतीया के दिन यदि जप, तप, स्नान, दान आदि किया जाए तो इससे व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन यदि अपने पितरों को जल दान दिया जाए तो उनकी आत्मा अनंत काल के लिए तृप्त होती है।शास्त्री ने लक्ष्मी नारायण योग के बारे में बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लक्ष्मी नारायण योग एक बेहद ही शुभ योग होता है। इस योग में बुध को भगवान विष्णु और शुक्र को माता लक्ष्मी की श्रेणी दी गई है। लक्ष्मी नारायण योग व्यक्ति के सुख और सौभाग्य को बढ़ाने वाला योग कहा जाता है। वहीं गजकेसरी योग भी एक बेहद शुभ योग माना गया है। गज का अर्थ हाथी से जोड़कर देखा जाता है और केसरी को सोने या सिंह से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है ऐसे व्यक्तियों को जीवन में हमेशा ऊंचाइयां हासिल होती हैं। उन्होंने बताया कि प्रति वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इस समय सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में होते हैं। संजय शास्त्री ने अक्षय तृतीया पूजा का मुहूर्त बताते हुए कहा कि सुबह 5 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा।

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