यमुना स्नान हेतु अधिकारियों के निरीक्षण के बाद घाट के भरे गए गहरे गड्ढे
कालपी। कार्तिक मास में नगर में मौजूदा समय में यमुना स्नान के लिये एकमात्र उपयुक्त स्नान घाट पीलाघाट में गंदगी होने से श्रद्धालुओं में नाराजगी है। हालांकि अधिकारियों के निरीक्षण के बाद घाट के गहरे गढ्ढे को भरने का काम किया गया।
वेद और पुराणों में भगवान वेदव्यास भूमि किसी पहचान की मोहताज नहीं है प्राचीन काल से नगर के पावन यमुना तट स्थित बिहारी जी घाट, बाईघाट, पीलाघाट तथा ढोडेश्वर घाट में श्रद्धालु स्नान करने आते थे समय बीतता गया बाई जी घाट जीर्ण शीर्ण होने से यहां स्नान करने वालों की संख्या कम हो गयी तथा घाट का अस्तित्व कम हो गया वहीं नगर के तरीबुल्दा स्थित घाट को दो दशक पूर्व नगर पालिका द्वारा बनवाया गया था जिसका भी अस्तित्व समाप्त हो गया। नगर में मात्र बिहारी जी घाट किलाघाट व पीला घाट में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या रहती थी लेकिन बीते कई वर्षो से किलाघाट स्थित बिहारी घाट से यमुना की अविरल धारा सिर्फ बाढ़ के दौरान घाट पर रहती है तथा धीरे-धीरे घाट से दूर हो जाती है हालांकि नगर पालिका द्वारा यहां पर सुन्दर साज सज्जा पुताई पेन्टिग आदि कराकर आकर्षक तरीके से कराकर सजाया व सबारा गया है लेकिन यहां की धारा इस घाट से दूर होने के चलते यहां भी स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम हो गयी है। देखा जाये तो नगर का एक मात्र एकलौता स्नान घाट पीलाघाट जहां 15 दिन तक नगर भर के लोगों अपने पुरखों का तर्पण करने के लिये इसी घाट पर आते हैं तथा भाई दूज, मकर संक्रांति, कार्तिक पूर्णिमा, देव उठानी एकादशी समेत तमाम पर्वो पर महिलाएं पुरुष व बच्चे स्नान करने आते हैं लेकिन एकलौता स्नान घाट आज अपनी दुर्दशा पर आसू बहा रहा है। इस घाट पर गंदगी स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लगा रहा है हालांकि उपजिलाधिकारी सुशील कुमार व पुलिस उपाधीक्षक अवधेश कुमार सिंह व नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी अवनीश कुमार ने निरीक्षण किया तो घाट में चढ़ने के दौरान कई सालों से घाट के चबूतरे पर गड्ढा था उसमें मिट्टी की पुरायी कराने के निर्देश दिये गये जिसे पूरा भी किया गया लेकिन घाट में गंदगी व्याप्त है तथा रोशनी नाम की कोई व्यवस्था नहीं है महिलाएं कार्तिक मास में स्नान करने आती है श्रद्धालुओं में गंदगी के प्रति नाराजगी व्याप्त है।