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लिंग चयनात्मक गर्भपात के खिलाफ पहल बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

उरईदिन शुक्रवार 28 जून 2024 को शासन के निर्देशानुसार 100 दिन की कार्य योजना के तहत महिला कल्याण विभाग द्वारा मिशन शक्ति के तहत आयोजित जन जागरूकता अभियान जिला प्रोबेशन अधिकारी डॉक्टर अमरेंद्र कुमार के नेतृत्व में जिला अस्पताल उरई में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण अधिनियम के प्रावधानों के बारे में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं पीसीपीएनडीटी के नोडल अरविंद कुमार भूषण एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अनिल कुमार राज की अध्यक्षता में मीटिंग संपन्न की गई।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा सभी को पीसीपीएनडीटी के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई कि अब हमें बेटी और बेटा में भेदभाव नहीं करना हैं बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से काम नहीं है अगर किसी भी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर लिंग की जांच होते हुए पाई जाती है तब ऐसे में 3 वर्ष की कैद हो सकती है एवं 10000 से लेकर 1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। सेंटर मैनेजर अंजना यादव द्वारा बताया गया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान 2015 में शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य लिंग आधारित चयन पर रोकथाम बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना तथा बालिकाओं के लिए शिक्षा की उचित व्यवस्था तथा उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के संबंध में जागरूकता का प्रचार प्रसार करना है। पीसीपीएनडीटी अधिकार और मानवीय गर्भ का उल्लंघन गर्भपात लैंगिक भेदभाव एवं महिलाओं के खिलाफ हिंसा का एक रूप है उनके समान जीवन और समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है इस कानून को 1994 में बनाया गया था। इस मौके पर वन स्टॉप सेंटर से प्रवीणा यादव, मिलन पांचाल मिशन वत्सल से काउंसलर रचना उपस्थिति रही।

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