– तीनों विधेयक बिल वापस लिए जाएं
– सात सूत्रीय ज्ञापन उपजिलाधिकारी के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री को भेजा
– एनएच 27 पर धरना देकर भरी हजारों किसानों ने हुंकार उरई/जालौन। सरकार कितना भी जुल्म किसानों पर ले दिल्ली कूच करने से उन्हें नहीं रोका जा सकता है, अभी तो यह अंगड़ाई है बाकी लड़ाई बाकी है। सरकार ने अगर अपने तीन विधेयक वापस नहीं लिए तो आरपार की लड़ाई लडऩे को हमारा किसान तैयार रहेगा। यदि वह अपने हक को लेकर आंदोलन करता है तो सरकार विरोध करती है यह कहां की नीति है। आज एनएच 27 हाइवे पर किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन की अगुवाई में हजारों किसानों ने उग्र प्रदर्शन शांति पूर्वक करते हुए अपना सात सूत्रीय ज्ञापन उपजिलाधिकारी सदर सतेंद्र सिंह के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री को भेजा है ताकि उनकी मांगों पर सहानुभूति के साथ विचार विमर्श किया जा सके। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि देश की डूबती हुई अर्थव्यवस्था में किसान ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है और आज फिर भी किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है और उस पर सरकार सहानभूति नहीं दिखा रही है। विधेयक अगर किसानों के हित में था तो किसान नेताओं को बुलाकर पहले इस पर बातचीत होना चाहिए थी तब कहीं जाकर विधेयक पास किया जाना चाहिए था परंतु चुकरिया में गुड़ फोडऩे की जो नीति केंद्र सरकार की है उसका खामियाजा उसे भुगतना होगा। हर कीमत पर अपना बिल वापस लेना होगा। अभी तो किसानों का यह ट्रेलर है फिल्म अभी बाकी है। जिस तरह से जगह जगह से दिल्ली आने पर हरियाणा, राजस्थान, यूपी के बार्डर पर किसानों को रोका गया है और अश्रु गैस के गोले छोड़े गए हैं, पानी की बौछार की गई है, बेरीकेटिंग लगा दी गई है वह यह नहीं जानते कि जिस देश में किसान अन्नदाता कहलाता है उसे उनकी है ये बेरीकेटिंग रोक नहीं पाएगी और सरकार झुकी और दिल्ली का रास्ता दिया। इसी तरह से सरकार अपने तीनों विधायक वापस लेने के लिए मजबूर हो जाएगी। किसान अपने हक की लड़ाई लडक़र अपना हक लेना जानता है। संसद और विधानसभा में चंद मंत्री जनप्रतिनिधियों को अभी किसानों की ताकत का एहसास नहीं है इसीलिए सरकार होश में आए।