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समाज के लिए कार्य करने वालों को याद करते हैं लोग – तहसीलदार

– शिक्षाविद् एवं वामपंथी विचारक स्व. टीडी वैद के 98वें जन्मदिवस पर हुई सांस्कृतिक संध्या
– बोली पालिकाध्यक्षा, अपने कार्यों के कारण ही वैद जी बने महामानव
कोंच/जालौन। तहसीलदार राजेश विश्वकर्मा ने कहा, समाज के कल्याण के लिए कार्य करने वाले की कीर्ति सदैव अमर रहती है। व्यक्ति का शरीर भले ही नाशवान है, किंतु कोई भी व्यक्ति उसके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों के द्वारा ही सदैव याद किया जाता है। लोगों को मानवीय मूल्यों पर आधारित समाज बनाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। यह बात उन्होंनेे भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा), प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) कोंच तथा श्रीमती सुशीला वैद-टीडी वैद स्मृति न्यास के तत्वाधान में जानेमाने वामपंथी विचारक, इप्टा एवं प्रलेस कोंच इकाईयों के संरक्षक तथा मथुराप्रसाद महाविद्यालय कोंच के संस्थापक प्राचार्य रहे स्व. टीडी वैद के 98वें जन्मदिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर आदित्य भारत गैस सर्विस सभागार में आयोजित सांस्कृतिक संध्या के अवसर पर कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अमरचंद्र महेश्वरी इंटर कॉलेज के प्रबंधक सरनाम सिंह यादव ने कहा कि वैद जी सच्चे और खरे शिक्षक थे, जो अपने विद्यार्थियों की समस्याओं के निदान के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। वे आजीवन शिक्षक और शिक्षार्थियों के लिए संघर्ष करते रहे। संचालन करते हुए इप्टा एवं प्रलेस के प्रांतीय सचिव डॉ. मोहम्मद नईम ने वैद जी के जीवनवृत्त पर प्रकाश डालते हुए उनके जीवन संघर्ष की गाथा के बाबत विस्तार से बताया कि किस प्रकार उन्होंने माध्यमिक शिक्षक संघ एवं मथुरा प्रसाद महाविद्यालय कोंच की स्थापना की। उन्होंने वैद जी के वामपंथी जीवन, इप्टा से जुड़ाव तथा भगतसिंह के सहयोगी रहे कामरेड शिववर्मा के साथ भूमिगत आंदोलन के संघर्षों को भी अपने संस्मरण के माध्यम से अवगत कराया। सांस्कृतिक संध्या का आरंभ अतिथियों द्वारा टीडी वैद व श्रीमती सुशीलदेवी वैद के चित्रों पर माल्यार्पण एवं द्वीप प्रज्जवलन कर किया गया। इप्टा रंगकर्मियों साहना खान, आस्था बाजपेई, पूजा पटेल, तैयबा, कोमल अहिरवार, आदर्श अहिरवार, राज शर्मा, सैंकी यादव, अंकुल राठौर, विशाल याज्ञिक, गोल्डी पटेल, शिखा सोनी, तसनीम आदि द्वारा इप्टा गीत एवं जनगीत प्रस्तुत किए गए। रंगकर्मी ट्रिंकल राठौर द्वारा श्रद्धांजलि गीत ‘चिट्ठी न कोई संदेश, न जाने कौन सा देश, जहां तुम चले गए प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत एवं आभार कार्यक्रम संयोजक अनिल कुमार वैद एडवोकेट ने किया, आभार पारसमणि अग्रवाल ने व्यक्त किया। इस अवसर पर पूर्व जिपं उपाध्यक्ष बलराम तिवारी, विज्ञान विशारद सीरौठिया, ओमशंकर अग्रवाल, संजीव तिवारी, ओमप्रकाश कौशिक, रामकिशोर पुरोहित, सुनील कुमार श्रीवास्तव, मुईद अहमद, रक्तकर्णिका डॉ. ममता स्वर्णकार, लल्लूराम मिश्रा, सभासद अनिल पटैरया, मोहम्मद जाहिद, रवि महाराज, मनोज गुप्ता, केके यादव, प्रमोद शुक्ला, राजेन्द्र निगम, प्रह्लाद सोनी, पंकजाचरण वाजपेयी, राघवेन्द्र तिवारी, प्रभुदयाल गौतम, मनोज दूरवार, मंजू नगाइच, अखिल वैद, धर्मेन्द्र गोस्वामी, अंकित गोस्वामी, आदित्य वैद, संजय रावत आदि उपस्थित रहे।
‘चंद सिक्कों की खनक पर, बेच दें ईमान जो’ … !
– स्व. टीडी वैद की स्मृति में आयोजित हुआ केवि सम्मेलन व मुशायरा
स्व. टीडी वैद की स्मृति में आयोजित सांस्कृतिक संध्या के अंतर्गत कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का भी आयोजन किया गया जिसमें स्थानीय कवियों द्वारा काव्य पाठ किया गया। तहसीलदार राजेश विश्वकर्मा ने काव्यपाठ करते हुए कहा, ‘जन्मदिन की बधाई, सभी को मिले, खुश रहें सब, चले सदियों ये सिलसिले। मंचीय कवि भास्कर सिंह माणिक्य ने कहा, ‘तुम चुप हो तो हो जाओ, मैं तो अपनी बात कहूंगा। गजलकार प्रेम चौधरी नदीम ने कहा, ‘कभी शम्मां कभी परवाना दिखे, कभी आशिक, कभी दीवाना दिखे। शायर सुनीलकांत तिवारी ने गजल पढी, ‘चंद सिक्कों की खनक पर, बेच दें ईमान जो, साहब हैं बड़े साहब, कैसे कहें बेईमान हैं। दिनेश मानव ने काव्यपाठ करते हुए कहा, ‘तुम्हारे बाद भी आएंगे, महफिल में कई लेकिन, नजारा वज्म का इस कदर दिलकश नहीं होगा। संतोष तिवारी सरल ने कहा, ‘लोग आते हैं, लोग जाते हैं, कुछ को हम याद भी नहीं करते, पर कुछ को भूल नहीं पाते हैं। नरेन्द्र मोहन मित्र ने काव्य पाठ किया, ‘आजीवन कर्तव्य निभाते, हमको ऐसे लोग मिले, मानवता का दीप जलाते, हमको ऐसे लोग मिले। डॉ. हरिमोहन गुप्त ने रचना बांची, ‘जब प्रताडि़त हो कभी संघर्ष में, या निराश हो कहीं उत्कर्ष में। नंदराम भावुक, राजेन्द्र सिंह रसिक, संजय सिंघाल, संजीव सोनी सरस, डॉ. मोहम्मद नईम बॉबी, प्रमोद कस्तवार, पारसमणि अग्रवाल, मुन्ना यादव विजय, अंशिका, दीपक कुमार याज्ञिक, राज शर्मा, आदर्श अहिरवार आदि की कविताएं भी खूब सराही गईं।