जालौन। गौ उत्पाद लाभकारी भी साबित हो सकते हैं। जरूरत है तो सही जानकारी प्राप्त करने की। यदि गो उत्पादों का निर्माण और बिक्रय किया जाए तो आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है। एेसी स्थिति में अन्ना जानवरों की समस्या भी दूर होगी। यह बात गो आधारित प्राकृतिक कृषि अभियान के अंतर्गत सरस्वती शिशु मंदिर में दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रशिक्षण शिविर में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक ने अपने बौद्धिक उद्बोधन दिया।
सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में मुख्य अतिथि संघ के प्रांत प्रमुख रामजी ने कहा कि भारत में हरित क्रांति के नाम पर रासायनिक उर्वरक, हानकारक कीटनाशकों एवं अत्यधिक भूजल के दोहन से भूमि की उर्वरा शक्ति में ही नहीं बल्कि मानव स्वास्थ्य में भी गिरावट आई है। किसान बढ़ती लागत के चलते कृषि कार्य को छोड़ रहे हैं। ऐसे में ऐसी कृषि पद्धति की आवश्यकता है, जिससे किसानों को बार बार बाजार न जाना पड़े और लागत घटने साथ ही मानव स्वास्थ्य भी बेहतर हो। इसके लिए गो आधारित प्राकृतिक कृषि आज समय की आवश्यकता है। गो उत्पादों को लाभकारी बनाकर अन्ना जानवरों की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है। गो उत्पादों से बने सामानों से आर्थिक लाभ कमाने को लेकर औरैया से संतोषजी व सुनीता सिंह उरई ने गोबर व गोउत्पाद से मूर्तियों के अलावा साज सज्जा के सामान एवं दीपक बनाने का प्रशिक्षण दिया। रिटायर्ड चिकित्साधिकारी डॉ. जितेंद्र माहेश्वरी एवं बीएएमएस डॉ. राधेश्याम सोनी ने गोबर व गोमूत्र के कीटनाशक, जैविक उर्वरक बनाने के प्रशिक्षण के अलावा पंचगव्य चिकित्सा के संबंध में जानकारी दी। जिसमें हर्बल शैम्पू, मच्छर लोशन, कामधेनु दंत मंजन, एंटी डेंड्रफ लोशन, उबटन पावडर, मच्छर क्वाइल आदि के निर्माण के बारे में भी प्रशिक्षण दिया गया। अनिल शिवहरे ने लोगों से गो उत्पादों को प्रयोग करने अपील की। कार्यक्रम संयोजक राजा सिंह सेंगर ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। अंत में सभी अतिथि श्रीगोवर्धन गोशाला पहुंचे जहां उन्होंने गोबर से लकड़ी बनाने वाली मशीन का निरीक्षण किया और इसके बारे में लोगों को जानकारी देने का आश्वासन भी दिया। इस मौके पर निशा माहेश्वरी, अनिल शिवहरे, रामबहादुर, राजा सिंह सेंगर गधेला, जमुनादास खकसीस, महेश सिंह, शिवराम, अन्नू, सुनील ताम्रकार आदि मौजूद रहे।