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बालिवध लीला के पाठ में शबरी की रामभक्ति और राम-सुग्रीव मैत्री का गाया गया प्रसंग

‘…मारा बाली राम तब हृदय माझ सर तानि’
कोंच/जालौन। कोविड की छाया में जारी कोंच रामलीला के 168 वें महोत्सव में शुक्रवार की रात्रि सीनरी विभाग के पवन अग्रवाल द्वारा गजानन की आरती के बाद रामलीला रंगमंच पर बालीबध लीला के रोचक प्रसंग का संगीतमय गायन किया गया।
जिसमें सीता अन्बेषण में वन वन भटक रहे भगवान राम भीलनी शबरी के आश्रम में पहुंच कर उसका आतिथ्य स्वीकार करते हैैं और उसके द्वारा खिलाए गए जूठे बेरों को भी बहुत ही प्रेम पूर्वक ग्रहण करते हैं। आगे परम भक्त हनुमान राम और सुग्रीव की मैत्री कराते हैं। सुग्रीव को दिए वचनानुसार राम बाली के ऊपर वृक्ष की ओट लेकर वाण चला देते हैं, घायल पड़ा बालि अपने अहंकार में कहता है, ‘बाली का विनाश नहीं यह वीरता का ह्रास है, विश्व में खलों के मान दर्प बढ जाएंगे। पूजा नित्य होगी शंख झालर बजेगी, मंदिरों में आपकी प्रतिमा पधराएंगे, किंतु हे नाथ कलंक के अंक सिर से न मिट पाएंगे..। इस प्रकार राम राम का उच्चारण करता हुआ बाली राम के धाम को चला गया। प्रभु राम सुग्रीव को किष्किंधा का राजा और अंगद को युवराज घोषित कर देते हैं। पाठ गायन वीरेन्द्र त्रिपाठी ने किया और व्यासजी की भूमिका अमित नगाइच ने निभाई। ऑर्गन पर राधारमण गुबरेले व ढोलक पर राजेश कनासी संगत कर रहे थे। रामलीला समिति के उपाध्यक्ष पुरुषोत्तमदास रिछारिया, मंत्री संजय सोनी, अभिनय विभाग के संरक्षक सुधीर सोनी, अध्यक्ष रमेश तिवारी, मंत्री डॉ. मृदुल दांतरे, अतुल चतुर्वेदी, हरिश्चंद्र तिवारी, अभिषेक रिछारिया, सुशील दूरवार मिरकू महाराज, लोकेन्द्रसिंह, सीनरी विभाग के संतोष तिवारी, गुड्डन पाटकार, मारुतिनंदन लाक्षकार आदि रहे।

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