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केवट ने पांव पखार सरयू नदी पार कराई राम लक्ष्मण और जानकी को

पहली मैदानी लीला में ‘सरयू पार’ लीला हुई सागर तालाब में
कोंच/जालौन। कोंच की ऐतिहासिक रामलीला के जारी 168वें महोत्सव-2020 में रविवार देर शाम पहली मैदानी लीला का मंचन सागर तालाब में किया गया जिसमें ‘सरयू पार लीला के दौरान वनवासी राम अपनी भार्या सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ नाव द्वारा तालाब में इस पार से उस पार जाते हैं। रात में ‘दशरथ प्राण त्याग लीला का प्रसंग संगीतमय पाठ में सुनाया गया।
सागर तालाब के पूर्वी छोर पर बल्दाऊ मंदिर की ओर बने बड़े प्लेटफार्म पर राम-केवट संवाद का प्रसंग मंचित होता है। परंपरागत रूप से गौड़वंशीय नमन चतुर्वेदी केवट की भूमिका में राम, लक्ष्मण और जानकी का पद प्रक्षालन कर उन्हें नाव में बिठा कर प्रतीकात्मक सरयू सागर तालाब में इस पार से उस पार ले जाते हैं। रविवार देर शाम वनवास पर निकले राम, लक्ष्मण और सीता सरयू के प्रतीक सागर तालाब के किनारे आसनस्थ हैं और केवट से नदी पार कराने का आग्रह करते हैं लेकिन वह उनके पांव पखारे बिना नाव पर बिठाने को राजी नहीं हैै। इस प्रकार केवट की भूमिका में नमन चतुर्वेदी ने राम, लक्ष्मण और जानकी का पद प्रक्षालन किया और चरणोदक ग्रहण करने के बाद उन्हें नाव में सवार कराया गया। मैदानी लीला का यह पहला आयाम है जिसमें सरयू नदी के प्रतीक के तौर पर सागर तालाब में भगवान को इस पार से उस पार ले जाया गया। इस दौरान रामलीला समिति के उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम दास रिछारिया, मंत्री संजय सोनी, अभिनय विभाग के संरक्षक द्वय मोहनदास नगाइच, सुधीर सोनी, अध्यक्ष रमेश तिवारी, मंत्री डॉ. मृदुल दांतरे, अतुल चतुर्वेदी, अभिषेक रिछारिया, सुशील दूरवार, आनंद सेेठ, हरिश्चंद्र तिवारी, ऋषि झा, पवन अग्रवाल आदि मौजूद रहे। रात्रि में रामलीला रंगमंच पर दशरथ प्राण त्याग लीला का संगीतमय पाठ किया गया। पाठ गायन वीरेंद्र त्रिपाठी ने किया, व्यासजी की भूमिका में अमित नगाइच रहे। ऑर्गन पर राधारमण गुबरेले और ढोलक पर राजेश कनासी संगत कर रहे थे।

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