जालौन। श्री रामलीला महोत्सव में सीता हरण के पश्चात् प्रभु श्रीराम ‘हे खग, हे मृग, मधुकर सेनी, तुम देखी सीता मृग नैनी’ कहते हुए माता सीता को ढूंढने निकल पड़ते हैं। सीताजी की खोज के दौरान उनकी सुग्रीव से मित्रता हो जाती है। जिसके बाद सुग्रीव का दु:ख जानकर वह बालि का वध कर सुग्रीव का राज्याभिषेक करते हैं।
रामलीला मंचन में राम सुग्रीव मित्रता एवं बालि वध का सुंदर मंचन उत्तर भारत के महान कलाकारों द्वारा किया गया। जिसमें माता सीता के आग्रह पर लक्ष्मण जब प्रभु श्रीराम को ढूंढने जाते हैं तो वहां पर भगवान राम ने जब लक्ष्मण को आया देखा। तो किसी अनहोनी की आशंका जताकर वह कहते हैं जल्दी से आश्रम चलो कहीं, कुछ अनर्थ न हो गया हो। जब दोनों भाई आश्रम पहुंचते है तो प्रभु राम सीता को आश्रम में नहीं पाते हैं। जिससे व्याकुल होकर वह ‘हे खग, हे मृग, मधुकर सेनी, तुम देखी सीता मृग नैनी’ कहते हुए उन्हें वन में खोजने के लिए निकल जाते हैं। वहीं, सीता को खोजने के दौरान उन्हें रास्ते में जटायु घायल अवस्था में पड़े मिलते हैं। जटायु, भगवान श्रीराम को सारा वृतांत बताते हुए कहते हैं कि लंकेश माता सीता का हरण कर दक्षिण दिशा में ले गया है। सीता माता की खोज के दौरान वह शबरी से मिलते हैं। शबरी उनसे बेर खाने का आग्रह करती है। जिस पर वह आनंद के साथ शबरी के झूठे बेरों को खाते हैं। इतना ही नहीं वह उसे ‘नव’ भक्ति प्रदान करते हैं। आगे चलने पर ऋष्यम्बूक पर्वत पर भगवान् राम व लक्ष्मण को देखकर सुग्रीव, हनुमानजी को उनका परिचय प्राप्त करने को कहते हैं। हनुमान जी उनका परिचय प्राप्त कर भगवान श्रीराम से सुग्रीव की मित्रता कराते हैं। सुग्रीव का दु:ख जानकर भगवान राम बालि का वध कर सुग्रीव का राज्याभिषेक करते हैं। रामलीला मंचन में सूर्पनखा के पात्र के रूप में काजल, राम पिंकी महाराज, लक्ष्मण केके शुक्ला, सीता बृजेश शर्मा, रावण श्याम शरण कुशवाहा, मारीच घनाराम आचार्य, जटायु सुभाष मस्ताना, खर प्रयाग,त्रिजटा रमेशचंद्र ने अपने जीवंत अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर किया। वहीं मंच के हास्य कलाकार सुभाष मस्ताना के हास्य संवाद ने लीला प्रांगण में बैठे दर्शकों को हसने व लोट पोट होने पर मजबूर कर दिया। साथ ही मंच पर काजल ने अपने नृत्य के जलवे दिखाये वहीं लीला का संचालन पवन चतुर्वेदी ने किया। दृश्य संयोजन रामशरण शर्मा व मंगल चतुर्वेदी ने किया।