उरई/जालौन। जिलाधिकारी डाॅ0 मन्नान अख्तर द्वारा अवगत कराया गया है कि कृषि के साथ किसानों की जीविका पशुपालन से चलती रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पशु, कृषि, खाद, खाद्यान्न एवं ऊर्जा के अच्छे स्त्रोत रहे हैं। जनसंख्या की वृद्धि से उ.प्र. देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के साथ ही यहाँ विकास की अपार सम्भावनायें हैं। पशुपालन प्रदेश में गरीब, ग्रामीण, जीवन की आजीविका के प्रमुख आधार रहे हैं। गाय, भैस, बकरी, भेड़, सुअर, मुर्गी आदि पशुधन कृषि के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रदेश सरकार पशुधन विकास के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों उन्नत प्रजनन, पशु रोग नियंत्रण, उन्नत पशुपोषण, आधुनिक पशुधन प्रबन्धन आदि के माध्यम से दुग्ध व पशुधन की उत्पादकता में वृद्धि कर रही है। सरकार के कार्यक्रमों से गरीब पशुपालकों, निर्बल वर्ग के व्यक्तियों, भूमिहीन श्रमिकों की आजीविका तथा उनका आर्थिक उन्नयन हो रहा है, साथ ही उनका कुपोषण भी दूर हो रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादन हेतु किये गये विभिन्न कार्यो का ही परिणाम है कि उ.प्र. देश में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर है।
प्रदेश के मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने पशुधन विशेषकर गोवंश के संरक्षण पर विशेष बल दिया है। निराश्रित/बेसहारा गोवंश के संरक्षण के लिए प्रदेश में कई वृहद गोसंरक्षण केन्द्र बनाये गये हैं। पशुधन के सर्वांगीण विकास हेतु पशुपालकों, कृषकों के हित में संचालित लाभकारी योजनाओं में गति प्रदान करने के लिए नये-प्रयोगों के साथ प्रदेश में नई योजनाओं के माध्यम से कार्यक्रम लागू किये जा रहे हैं। प्रदेश सरकार की नीति है कि किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुना किया जाय।
किसानों की आय में वृद्धि हेतु पशुपालन बहुत ही सहायक है। सरकार पशुपालन हेतु नवीन व समृद्धशाली योजनायें बनाई जा रही है जिससे दुग्ध उत्पादन के साथ-साथ पशुपालकों, कृषकों की आय में वृद्धि हो सके। वर्ष 2017 की 20 वीं पशुगणना के अनुसार प्रदेश में पशुओं की कुल संख्या 680.13 लाख है, जिनमें 190.20 लाख गोवंशीय, 330.17 लाख महिषवंशीय, 9.85 लाख भेड़, 144.80 लाख बकरी, 4.08 लाख सूकर एवं 1.03 लाख अन्य पशुधन तथा 125.16 लाख कुक्कुट हैं।
प्रदेश में राष्ट्रीय पशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत खुरपका, मुॅहपका एवं बु्रस्लोसिस बीमारी को 2025 तक पशुओं के रोग से मुक्त कराने का लक्ष्य रखा गया है। पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। पशु चिकित्सालयों से दूरस्थ ग्रामों में बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा सेवायें दी जा रही है। गुणवत्तायुक्त पशु प्रजनन के लिए कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रमों के माध्यम से दुधारू पशुओं की नस्ल में सुधार किया जा रहा है। पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा देते हुए पशुधन बीमा योजना भी संचालित है।
पशुपालकों को जागरूक एवं उनकी क्षमता में विकास करने के लिए पं0 दीन दयाल उपाध्याय वृहद पशु आरोग्य मेलों का आयोजन किया जा रहा है। प्रदेश सरकार पशुपालन हेतु पशुपालकों, कृषकों को विभिन्न प्रकार की सहायता कर रही है। जिससे प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ा है और पूरे देश में उ0प्र0 दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है।