उत्तर प्रदेशजालौनबड़ी खबर

कृमि मुक्ति के लिए आज से दस दिवसीय अभियान शुरू

एक से 19 साल तक के 419336 बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाने का लक्ष्य
उरई/जालौन। प्रदेश में एक साल से 19 साल के आयु वर्ग में कृमि का संक्रमण दर 76 प्रतिशत है। इस आयु वर्ग में मानसिक और शारीरिक विकास तेजी से होता है लेकिन कृमि संक्रमण के कारण शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा पहुंचती है। इसके कारण अनेक शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। शासन के निर्देश पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति के लिए दस दिवसीय अभियान 28 सितंबर से 7 अक्टूबर 2020 तक चलाया जाएगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० अल्पना बरतारिया ने दी।
सीएमओ डॉ० अल्पना बरतारिया ने बताया कि इस समय कोविड संक्रमण का दौर चल रहा है। ऐसे में स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद चल रहे है। ऐसे में आशा और आंगनबाड़ी कर्मचारी घर घर जाकर अपने सामने एक साल से 19 साल तक के बच्चों को दवा खिलाएंगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में चलाए गए अभियान में 419336 बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 360365 बच्चों को दवा खिलाई गई थी। यह लक्ष्य का 85.94 प्रतिशत थी। इस बार भी पिछले साल के लक्षित 419336 बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि एक से 19 साल तक के सभी बच्चों को पेट के कीड़े निकलने की दवा एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जानी है। इसमें एक से दो साल तक के बच्चों को आधी गोली चूरा कर पानी के साथ खिलाई जाएगी। जबकि दो से तीन साल के बच्चों को पूरी गोली चूरा कर पानी के साथ खिलाई जानी है। तीन से 19 साल के बच्चों को पूरी गोली पानी के साथ चबाकर खानी है।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. एसडी चौधरी ने बताया कि आशा और आंगनबाड़ी की एक टीम को एक दिन में 25 से 30 घरों का भ्रमण कर दवा खिलानी है। टीम को निर्देशित किया गया है कि वह किसी भी हालत में घर के सदस्यों को दवा न दें, अपने सामने ही दवा खिलाएं। अभियान की निगरानी के लिए टीम बना दी गई है। रोजाना अभियान की मानीटरिंग होगी। दवा का किसी तरह का दुष्प्रभाव होने पर बच्चे को नजदीकी अस्पताल ले जाने या फिर 108 नंबर एंबुलेंस की मदद लेने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि जो बच्चे इस दौरान छूट जाएंगे, उन्हें बाद में दवा खिलाई जाएगी। इस दौरान एसीएमओ डा. बीएम खैर, डीसीपीएम डा. धर्मेंद्र कुमार भी मौजूद रहे।
यह होते है लक्षण
– खून की कमी
– भूख न लगना
– स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र पर उपस्थिति कम होना
– पढने और सीखने की क्षमता कम होना
– कार्य करने की क्षमता कम होना
इन्हें दवा नहीं खिलानी है
खाली पेट, बीमार बच्चे, जुखाम, खांसी, बुखार, सांस लेने में परेशानी, दवा खाने से मना करने पर, ऐसे बच्चे जो किसी कोविड 19 उपचाराधीन व्यक्ति के संपर्क में आया हो।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button