आटा। बाल विकास परियोजना के तहत मंगलवार को आंगनबाड़ी केंद्र इटौरा में वजन पोषण दिवस मनाया गया। इसमें शून्य से पांच साल तक के बच्चों का वजन किया गया। साथ ही महिलाओं को कुपोषण और एनीमिया से बचाव के प्रति जागरूक भी किया गया।
मंगलवार सुबह केंद्र पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ क्षेत्रीय सहकारी समिति अध्यक्ष जितेंद्र द्विवेदी ने किया। उन्होंने इस संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा कि देश में आजादी के पूर्व से लेकर आजादी के बाद आज तक कुपोषण की गंभीर समस्या विद्यमान है। ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2018 के अनुसार विश्व भर में पंद्रह करोड़ से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं।
भारत में 4 करोड़ 66 लाख से अधिक बच्चे बौने व कम लंबाई के रूप में कुपोषण से ग्रस्त हैं। यह संख्या दुनिया भर में सर्वाधिक है। इस मामले में नाइजीरिया और पड़ोसी देश पाकिस्तान 1.39 करोड़ और 1.7 करोड़ के साथ क्रमश- दूसरे व तीसरे पायदान पर है। भारत के 604 जिलों में से 239 जिलों में अविकसित बच्चों का प्रतिशत चालीस फीसदी से अधिक है।
दरअसल कुछ जिलों में इन बच्चों की संख्या 12.4 फीसदी तो कुछ जिलों में 65.1 फीसदी तक है। देश में लंबाई के मुकाबले कम वजन वाले बच्चों की संख्या 2.55 करोड़ है जो नाइजीरिया और इंडोनेशिया से भी अधिक है। हालांकि सरकारें चाहे वह केंद्र की हो या राज्यों की इस समस्या को लेकर प्रतिबद्ध हैं और इस समस्या से निपटने के लिए सरकारों द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है जिसके परिणाम भी दिख रहे हैं और हमारी जनता भी अब जागरूक हो चुकी है निश्चित ही हम कुपोषण को देश से भगाकर ही मानेंगे।
आशाओं ने गर्भवती और धात्री महिलाओं को कुपोषण और एनीमिया के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि गर्भवती महिला को गर्भवस्था के दौरान टीटी के इंजेक्शन, आर्यन की गोलियां व संतुलित आहार का सेवन जरूर करना चाहिए। कहा कि गर्भवस्था के दौरान नियमित जांच करानी आवश्यक है। अंतिम छह माह में गर्भवती महिला का कम से कम एक किलो वजन प्रतिमाह बढऩा चाहिए। इस मौके पर आशाओं के साथ साथ गर्भवती महिलाएं व पांच साल से कम उम्र के बच्चे मौजूद रहे।