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कोंच की सांस्कृतिक धरोहर है विश्व प्रसिद्ध रामलीला

बुंदेलखंड फिल्म उद्योग में लाइव आकर विशेषताएं बताईं रामलीला से जुड़े लोगों ने
कोंच/जालौन। बुंदेलखंड फिल्म उद्योग के लाइव पेज पर शनिवार को कोंच की विश्व प्रसिद्घ रामलीला के विभिन्न आयामों से जुड़े लोगों ने यहां की रामलीला की विशेषताओं के बारे में बताते हुए इसे कोंच की सांस्कृतिक धरोहर बताया। रामलीला विशेषज्ञ रमेश तिवारी ने इसकी खूबियों को चेकर चर्चा करते हुए कहा कि कोंच की अनुष्ठानी रामलीला में बिना किसी पारिश्रमिक के स्थानीय लोग ही विभिन्न किरदार निभाते हैैं, इसके अलावा इस पूरे आयोजन में स्थानीय लोग विभिन्न सेवाओं से जुड़ कर अपने को धन्य मानते हैं।
जाने-मानेे सिने कलाकार आरिफ शहडोली की अगुवाई बाली इस ‘बुंदेलखंड फिल्म उद्योग बैनर पर बुंदेलखंड के विभिन्न क्षेत्रों की नामी हस्तियों को अपने अनुभव शेयर करनेे का लाइव अवसर प्रदान किया गया जिसमें कोंच रामलीला सेे जुड़े कलाकारों और समीक्षकों को भी आमंत्रित किया गया। रामलीला विशेषज्ञ रमेश तिवारी ने रामलीलाओं में कम होती भीड़ पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि लोगों की अभिरुचि रामलीला के प्रति बढे इसके लिए समवेत् चिंतन मनन की जरूरत बताई। 168 बर्ष पुरानी इस रामलीला के वैशिष्टय को लेकर रामलीला कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व रामलीला के अभिनय विभाग के पूर्व अध्यक्ष रहे पुरुषोत्तमदास रिछारिया ने इसके कोंच में पदार्पण से लेकर अब तक की रंगमंचीय यात्रा और इसके मैदानी आयामों के बाबत विस्तार से बताते हुए कहा कि इस मंच के कलाकारों को निरंतर प्रशिक्षण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चूंकि सिने स्टार और बुंदेलखंड पृथक प्रांत निर्माण के अगुवाकार राजा बुंदेला मौजूदा में बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष भी हैं और रामलीलाओं को लेेकर उनकी सोच विकास परक है लिहाजा वह प्रभावी पहल करके बुंदेलखंड में संचालित विभिन्न रामलीलाओं के लिए सरकारी फंडिंग की भी व्यवस्था करा सकते हैैं ताकि इन रामलीलाओं के समक्ष आर्थिक संकट जैसी स्थिति न उत्पन्न हो औैर इनका अनवरत मंचन होता रहे।
नामचीन रंगकर्मी और शिक्षक संजय सिंघाल ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि भले ही यहां के स्थानीय कलाकार बिना पारिश्रमिक के अपनेे रोल प्ले करते हों लेकिन रामलीला के प्रति उनकी आस्था का आकलन इसी बात से किया जा सकता है कि रामलीला में अपना योगदान देकर वे खुद को धन्य मानते हैैं। उन्होंनेे यह भी कहा कि जो पुराने स्थापित कलाकार हैं वेे अपनेे उत्तराधिकारी जरूर बनाएं ताकि आगे यह थाती पीढी दर पीढी हस्तांतरित होती रहेे औैर रामलीला निर्विघ्न चलती रहे। पुराने वयोवृद्घ कलाकार सूरज प्रसाद शर्मा ने रामलीला साहित्य में पिरोए गए गीतों की प्रस्तुति देकर रामलीला की समृद्घ विरासत की वानगी दिखाई।

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