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झूलों में विराजमान हुए प्रभु के श्रीविग्रह

रामलला मंदिर में हुआ पंद्रह दिवसीय झूला महोत्सव का श्रीगणेश
कोंच/जालौन। गुरुवार को हरियाली तीज से प्रारंभ हुये झूला उत्सव में कोविड के चलते दर्शनार्थी मंदिरों से दूर रहे लेकिन परंपरागत रूप में भगवान के श्रीविग्रहों को झूलों में पधरवाया गया। नगर के सुप्रसिद्घ सीतानाथ मंदिर में झूले में अनुज लक्ष्मण और माता सीता के साथ विहार कर रहे सीतानाथ महाराज की अनुपम छटा देखते ही बनती है। इसके अलावा अन्य मंदिरों में भी झूले पड़े। रानी लक्ष्मीबाई के गुरुद्वारे रामलला मंदिर में भी रामलला सरकार को झूले में बैठाया गया, इसी के साथ कोविड नियमों के तहत यहां पंद्रह दिवसीय झूलनोत्सव शुरू हो गया है।
रानी झांसी के गुरुद्वारे रामलला मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना कर सरकार की झांकी झूले में सजाई गई, पुजारी और इक्का दुक्का भक्तों ने रामलला सरकार को झुलाने का आनंद उठाया। मंदिर के एकादश गद्दीधर महंत रघुनाथदास खुद भगवान रामलला को झूला झूला रहे हैं। पुजारी गोविंददास ने आरती उतारी। इसी के साथ पखवाड़े भर चलने बाले झूलनोत्सव का भी शुभारंभ हो गया। ग्यासीलाल याज्ञिक, देवयानी याज्ञिक, वीरेन्द्र त्रिपाठी आदि ने शास्त्रीय और सुगम संगीत में भगवान के झूले और भजन गाए।
धर्मादा रक्षिणी सभा द्वारा संचालित दोनों मंदिरों बल्दाऊ मंदिर और कल्याण राय मंदिर में झूला डाल कर महाराज के श्रीविग्रह बिठाए गए। धर्मादा अध्यक्ष गंगाचरण वाजपेयी, मंत्री मिथलेश गुप्ता, पुजारी हनुमंत महाराज, रग्घू महाराज आदि मौजूद रहे। प्राचीन सीतानाथ मंदिर में भगवान राम माता जनकनंदिनी और अनुज सौमित्र लक्ष्मण को झूले में विराजमान कराया गया। राठौर समाज द्वारा संचालित अवधविहारी लालजी महाराज के मंदिर में भी भगवान राम, लक्ष्मण और सीता की अनुपम छटा झूले में भक्तों का कल्याण करने बाली है।

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