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बिना गुरु के किसी प्रकार के भव सागर को पार नहीं किया जा सकता – अनूप ठाकुर महाराज

हरदोई/रितेश मिश्रा। जनपद के ग्राम असलापुर में गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर अनूप ठाकुर महाराज के पावन सानिध्य में किया गया इस मौके पर अनूप ठाकुर महाराज ने अपने गुरूदेव के चित्र का पूजन अर्चन कर आरती की सत्संग सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि गुरु का मतलब होता है ‘गु’ अर्थ अंधकार ‘रू’ अर्थ प्रकाश अर्थात – जो अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जायें वही सच्चा गुरु होता
आषाढ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से इसलिए जाना जाता है कि इसी दिन चार वेद छः शास्त्र अठारह पुराणों के निर्माता भगवान वेदव्यास का जन्म हुआ था। इसलिए ग्रन्थों का जनक व्यास जी को माना जाता है। इसी दिन संसार के सभी शिष्य अपने अपने गुरुदेव का पूजन अर्चन कर उनके दीर्घायु की कामना करते हैं। बिना गुरु के किसी प्रकार भी भव सागर को पार नहीं किया जा सकता है। “गुरु बिन भव निधि तरई न कोई, जो विरंचि शंकर सम होई” चाहें ब्रम्हा विष्णु शंकर ही क्यों न हो। लेकिन बिना गुरु के भवसागर पार नहीं जा सकता। इस तीन लोक नव खण्ड में गुरु से बढ़कर कोई नहीं है।
जो व्यक्ति अपने गुरु की चरण रज को अपने मस्तक पर लगाते हैं वह दुनिया भरके सकल वैभव अपने वश में कर लेते हैं। “जे गुरु चरण रेनु शिर धरहीं, ते जन सकल विभव वश करहीं” महाराज जी ने बताया जो अपने गुरु वंदना करते हैं सुमिरन करते हैं और अपने गुरु के बताए हुए रास्ते पर चलते हैं उनको आत्मा परमात्मा एवं दिव्यदृष्टि का ज्ञान हो जाता है और जन्म मरण के चक्र से मुक्त होकर अपने परम धाम सत्यलोक अनामी धाम अमर पद में चलें जातें हैं दुबारा इस मृत्युलोक में आना नहीं होता है महाराज जी ने अध्यात्म पर प्रकाश डालते हुए सत्संग श्रवण कराया और आने वाले श्रावण मास की सभी को शुभकामनाएं दी और ऑनलाइन सत्संग में सभी शिष्यों से अपील की कि वह घर में रहकर सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए गुरू पूर्णिमा पर्व मनाये।

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