कछौना/रितेश मिश्रा। विकासखंड में विभिन्न विभागों, सामाजिक संगठनों द्वारा वृहद पौधा रोपण किया गया। खण्ड विकास अधिकारी ने बताया वन संपदा मानव जीवन का आधार है। कोरोना संकट ने हम सब को संदेश दिया प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने से कीमत चुकानी पड़ेगी। प्रत्येक व्यक्ति को पौधारोपण के साथ उसका संरक्षण आवश्यक है। पर्यावरण के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम है।
खण्ड विकास अधिकारी रोहिताश कुमार द्वारा ग्राम पंचायतों में माइक्रो प्लान के तहत वृक्षारोपण किया गया। पतसेनी देहात के खेल मैदान में 300 पौधे, उत्तरधैया के गौ-आश्रय स्थल पर 200 पौधे, हथौड़ा स्थित देवी तालाब में 700 पौधे, बर्राघूमन में सई नदी के किनारे 200 पौधे लगाए गए। सभी ग्राम सभाओं में ग्राम प्रधानों व सचिवों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। वहीं कोतवाली कछौना के प्रांगण में प्रभारी निरीक्षक रायसिंह ने अपनी टीम के साथ पौधारोपण किया। जिसके अंतर्गत 100340 वृक्ष रोपित किये गए। महिला समूहों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया।
राजस्व विभाग ने बढ़-चढ़कर ग्राम सभाओं की सार्वजनिक भूमि खलियान, तालाब, चारागाह आदि स्थानों पर पौधे रोपित किए। शिक्षा विभाग द्वारा परिषदीय स्कूलों में वृक्षारोपण किया गया। सभी ने इस अभियान को त्यौहार की तरह मनाया। ऊसर, बंजर, जमीन भी पौधारोपण से उपजाऊ होती है। वृक्षा रोपण से वातावरण शुद्ध होता है। इन अभियानों से आम जनमानस में जागरूकता की है। परंतु आम जनमानस में जागरूकता की कमी व प्रशासन की हीला हवाली के चलते वन सप्ताह कार्यक्रम फोटो सेशन तक सीमित हो जाता है। पौधा रोपित के बाद कोई उनकी दशा जानने की कोशिश नहीं करता है। कागजों पर संख्या का आंकड़ा फील गुड वर्क करते हैं। पौधारोपण के अधिकांश पौधे जीवित नहीं रखते हैं।