महोबा/संदीप गुप्ता। जिलाधिकारी अवधेश कुमार तिवारी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट कार्यालय में पीएम स्ट्रीट वेन्डर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक संपन्न हुयी। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि पथ विक्रेता शहरी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग हैं।शहरी क्षेत्रों में घर – घर जाकर जन सामान्य को किफायती दरों पर वस्तुएं/सामग्री उपलब्ध कराने में शहरी पथ विक्रेताओं द्वारा एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया जाता है।
ऐसे पटरी के दुकानदार (पथ विक्रेता) न केवल रोजमर्रा के प्रयोग में आने वाली सामग्री जैसे कि दूध, ब्रेड, फल, सब्जी आदि आवश्यक वस्तुओं को शहरी निवासियों के द्वार तक पहुँचाने का कार्य करते है बल्कि आम नागरिकों हेतु दैनिक जीवन में आवश्यक विभिन्न सेवाओं जैसे कि बाल काटने, कपड़े सिलने, जूते चप्पल की मरम्मत करने, लाण्ड्री आदि जैसे सेवा संबंधी कार्य भी पथ विक्रेताओं द्वारा किये जाते हैं।
वर्तमान में कोविड -19 के संक्रमण को रोकने हेतु उठाये गये कदमों, विशेषकर लॉकडाउन के कारण शहरी पथ विक्रेताओं के व्यापार पर असरकारी प्रभाव पड़ा है। इसके दृष्टिगत् शहरी पथ विक्रेताओं को आत्म निर्भर बनाने एवं उनके द्वारा अपना कार्य फिर से पुनः प्रारम्भ किये जाने हेतु भारत सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज के रूप में आसान ऋण सुविधा के द्वारा कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराये जाने हेतु पीएम स्ट्रीट वेन्डर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना का आरम्भ वित्तीय वर्ष 2020-21 से किया गया है। यह योजना पूर्ण रूप से आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है।
इस योजना के द्वारा पात्र पथ विक्रेताओं को एक हजार रुपये तक की कार्यशील पूंजी, ब्याज अनुदान आधारित आसान ऋण पर उपलब्ध करायी जाएगी, जो कि नियमित धन-वापसी पर आधारित है एवं डिजिटल लेन – देन को प्रोत्साहित करती है। यह योजना समस्त नगर निकायों में संचालित होगी। इस योजना के लाभ हेतु ऐसे पथ विक्रेता पात्र होंगे, जिनके द्वारा 24 मार्च, 2020 से पूर्व विक्रय की गतिविधियाँ की जाती रही हैं और जिनको नगर निकाय के द्वारा विक्रय प्रमाण पत्र एवं पहचान पत्र जारी किए गए हैं। साथ ही ऐसे पथ विक्रेता, जो कि सर्वे के माध्यम से चिन्हित किए गए हैं, परन्तु उनको विक्रय प्रमाण पत्र एवं पहचान पत्र जारी नहीं किया गया है उन्हें नगर निकाय, द्वारा एक माह के अन्दर विक्रय प्रमाण पत्र एवं पहचान पत्र उपलब्ध कराए जाएंगें।
डीएम ने बताया कि इस योजना के लाभ के तहत शहरी पथ विक्रेता एक वर्ष की अवधि के लिये एक हजार रूपये तक के कार्यकारी पूंजी (डब्ल्यूसी) ऋण प्राप्त करने और ऋण वापसी मासिक किश्तों में करने के पात्र होंगे। इस ऋण के लिये कोई कोलेट्रल नहीं लिया जाएगा और समय पर या जल्द ऋण वापसी करने पर विक्रेता संवर्धित सीमा वाले अगले कार्यकारी पूंजी ऋण के पात्र होंगे। निर्धारित तिथि से पूर्व ऋण वापसी करने पर विक्रेताओं पर कोई पूर्व भुगतान या जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।
इस स्क्रीम के अन्तर्गत ऋण प्राप्त करने वाले विक्रेता 7 प्रतिशत की दर पर ब्याज सब्सिडी के पात्र होंगे। ब्याज सब्सिडी की राशि ऋण प्राप्तकर्ता के खाते में त्रैमासिक रूप से जमा की जायेगी। ऋणदाता प्रत्येक वित्त वर्ष के दौरान 30 जून, 30 सितम्बर, 31 दिसम्बर और 31 मार्च को समाप्त होने वाली तिमाहियों के लिए ब्याज सब्सिडी के दावे त्रैमासिक रूप से प्रस्तुत कर सकेंगे। यह ब्याज सब्सिडी 31 मार्च 2022 तक उपलब्ध है। यह सब्सिडी प्रथम और बाद के उस तिथि तक वर्णित ऋणों के लिये उपलब्ध होगी। पूर्व भुगतान के मामले में, सब्सिडी की स्वीकार्य राशि एक बार में जमा की जायेगी। यह योजना कैश बैक सुविधा के माध्यम से विक्रेताओं द्वारा डिजिटल लेनेदन को प्रोत्साहित करेगी।
बैठक में जिला मजिस्ट्रेट ने समस्त ईओ, पीओ डूडा, एलडीएम को निर्देशित किया कि इस योजना से पात्र पथ विक्रेताओं को लाभान्वित करने का कार्य अतिशीघ्र कराया जाए, इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही या बिलम्ब न किया जाए नहीं तो आवश्यक कार्रवाही होगी। उन्होंने सभी पथ विक्रेताओं को सूचित करते हुए कहा कि वे अपना पंजीकरण सम्बन्धित नगर निकाय में करा लें और ज्यादा जानकारी के लिए अपने नगर निकाय में संपर्क करें। इस अवसर पर प्रभारी अधिकारी नगर निकाय पूनम निगम, एलडीएम अनूप यादव, सूचना अधिकारी सतीश कुमार, एलबीए रमा रतन वर्मा सहित समस्त अधिशाषी अधिकारी मौजूद रहे।