लखनऊ। रीजेंसी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल एडवांस रीनल प्रोसीजर के मल्टिटयूड को परफॉर्म करने के लिए जाना जाता है। हॉस्पिटल ने गंभीर रूप से बीमार 12 साल के बच्चे को जीवन दान दिया जो एक्यूट यूरिनरी रिटेंशन के साथ ख़राब किडनी फंक्शनिंग से पीड़ित था क्योंकि वह पोस्टीरियर यूरेथ्रल वाल्व (PUV) से पीड़ित था जो जन्म से ही मौजूद डिसऑर्डर होता है। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के रीनल साइंस के डायरेक्टर, एमडी, डीएम (नेफ्रोलॉजी) डॉ दीपक दीवान ने डॉक्टरों की टीम को लीड किया। उन्होने अपनी एक्स्ट्राऑर्डिनरी स्किल दिखाई और कोरोना वायरस पैंडेमिक लॉकडाउन की कई चुनौतियों के बावजूद गंभीर रूप से बीमार बच्चे के इलाज के लिए तत्काल कदम उठाये।
हॉस्पिटल में भर्ती होने पर लड़के मास्टर ऋतिक दुबे को तुरंत हेमोडायलिसिस के लिए फेमोरल एक्सेस (2 सेसन) के जरिये भेजा गया, इसके बाद IJVC (गर्दन लाइन) इंसर्शन, ब्लड ट्रांसफ्यूजन एरीथ्रोपोईएटिंग इंजेक्शन (यह वह हार्मोन होता है जो बोन नैरो को रेड ब्लड सेल्स बनाने के लिए उत्तेजित करता है।) और दूसरे सिम्पटोमैटिक ट्रीटमेंट किये गए। हेमोडायलिसिस एक विशेष फिल्टर का उपयोग करता है जिसे डायलाइज़र कहा जाता है यह ब्लड से अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त तरल पदार्थ को हटाता है। डायलाइज़र एक हेमोडायलिसिस मशीन से जुड़ा होता है। अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को छानने के लिए ब्लड को डायलाइज़र में एक ट्यूब के माध्यम से पंप किया जाता है। फ़िल्टर्ड ब्लड फिर शरीर में एक और ट्यूब के माध्यम से जाता है। यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है और कुछ महत्वपूर्ण मिनिरल्स जैसे पोटेशियम, सोडियम, कैल्शियम और बाइकार्बोनेट के बैलेंस को बनाये रखने में मदद करता है।
क्रोनिक किडनी बीमारी, किडनी फेल होने के अंतिम चरण (स्टेज V) को जन्म दे सकता है, जो भारत में ज्यादातर होता है। NCBI (द नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी सूचना) के अनुसार, भारत में लगभग 220,000 लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, वर्तमान में केवल 7500 किडनी ट्रांसप्लांटेशन 250 किडनी पर ट्रांसप्लांटेशन सेंटर पर किए जाते हैं। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा टेरटरी केयर सेंटर है। यह किडनी फेल वाले कई मरीजों को डेली बेसिस पर सेवा कर रहा है। इसके अलावा जिन्हे रीनल ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है वह सर्विस भी हम देते हैं।