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घरेलू और निष्प्रयोज्य चीजों से रंगमंच साम्रगी का निर्माण संभव – आरिफ शहडोली

बोलेे डॉ. अनिल अविश्रंत, युवाओं को समाज बदलने के लिए रंगमंच को अपनाना चाहिए
कोंच/जालौन। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) कोंच इकाई द्वारा आयोजित सात दिवसीय ऑनलाइन थिएटर कार्यशाला के छठवें दिन कार्यशाला प्रशिक्षक, फिल्म एवं टीवी कलाकार आरिफ शहडोली ने कहा, रंगकर्म करते समय रंगकर्मियों को घरेलू एवं निष्प्रयोज्य वस्तुओं का प्रयोग नाट्य मंचन करते समय करना चाहिए, इससे रंगकर्मी की आत्मीयता नाटक के प्रति बढ़ती है। रंगकर्मियों को चाहिए कि अधिक से अधिक नाटकों को पढ़ें, उनके बारे में चिंतन करें, उनकी विषय वस्तु के आधार पर कल्पनाशीलता को विकसित करें तथा एकल अभिनय के माध्यम से अपने हुनर को विकसित करें। कार्यशाला के अतिथि वक्ता प्रगतिशील लेखक संघ झांसी के अध्यक्ष डॉ. अनिल अविश्रंत ने कहा, युवाओं को समाज बदलने के लिए रंगमंच को अपनाना चाहिए क्योंकि युवा ही राष्ट्र निर्माता होता है। वही समाज को दशा और दिशा देता है। युवाओं को चाहिए कि सामाजिक बदलाव और समाज के बेहतर निर्माण हेतु वे जनपक्षीय संस्कृति को अपनाएं। संचालन कार्यशाला संयोजक इप्टा कोंच के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद नईम बॉबी ने किया। संरक्षक अनिल कुमार वैद ने स्वागत एवं रंगकर्मी ट्रिंकल राठौर ने आभार व्यक्त किया। रंगकर्मी यूनुस मंसूरी, अंकुर राठौर, भानुप्रताप ने जनगीत प्रस्तुत किए। इस अवसर पर इप्टा कोंच, झांसी, उरई, छतरपुर के रंगकर्मियों ने सहभागिता की।

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