– लंबे अरसे से पुनर्गठन की बाट जोह रही है कोंच की पेयजल पाइपलाइन कोंच/जालौन। एक ओर जहां सरकार हर घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कृतसंकल्पित नजर आ रही है तो इसका अंधेरा पहलू यह भी है कि पुरानी क्षतिग्रस्त परियोजनाओं पर बिल्कुल भी ध्यान न देकर सरकार अपनी इस मुहिम से कहीं न कहीं छिटकती सी दिखाई दे रही है। मंगलवार को मुख्यमंत्री ने झांसी आकर बुंदेलखंड की बारह ग्रामीण परियोजनाओं की आधार शिला रख कर हर घर में पानी पहुंचाने का पवित्र संकल्प लिया है
तो वहीं दूसरी तरफ शहरों की जर्जर व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया जाना इस संकल्प को कमजोर करने जैसा है। कोंच की पांच दशक पुरानी जर्जर पेयजल पाइपलाइन परियोजना सरकारी व्यवस्था के मुंह पर करारा तमाचा है क्योंकि यहां हर घर तक पीने के पानी के साथ सीवर की गंदगी भी पहुंच रही है। इस पाइपलाइन के पुनर्गठन की आवश्यकता लंबे अरसे से महसूस की जा रही है लेकिन हमेशा ही इसकी अनदेखी की गई जिसके चलते यहां के बाशिंदों को मलमूत्र युक्त गंदा पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
बुंदेलखंड की प्यासी धरती पर स्वच्छ पेयजल को तरसते यहां के बाशिंदों को पानी देने और हर घर को पाइपलाइन से जोडऩे की सरकार की अति महत्वाकांक्षी मुहिम के बीच जालौन जनपद की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। मंगलवार को जनपद झांसी, ललितपुर और महोबा को ऐसी तमाम सौगातों से नवाजने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने झांसी आकर 2185 करोड़ की लागत बाली बारह ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं की आधार शिला रखी लेकिन बुंदेलखंड के ही जिला जालौन इन सौगातों से अछूता रहा। जिले के कोंच शहर की कमोवेश एक लाख से अधिक की आबादी कई दशकों से सीवर की गंदगी और दुर्गंध से युक्त पानी पीने को मजबूर है।
तकरीबन पांच दशक पुरानी यहां की पाइपलाइन पेयजल परियोजना की अगर बात करें तो यहां घर घर में सीवर की गंदगी सप्लाई की जा रही है। यह स्थिति काफी पहले से ही निर्मित है जिसके चलते अधिकांश कस्बाई लोगों ने अपने नल संयोजन विच्छेदित करा लिए हैं और हैंडपंपों पर निर्भर हो गए हैं, या फिर घरों में बोरिंग करा कर अपनी पानी की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। दरअसल, यहां की पाइपलाइन इतनी जर्जर हो चुकी है कि पेयजल सप्लाई लाइनें सीवर से इंटरकनेक्ट होकर सीवर की गंदगी को घर घर पहुंचाने का काम कर रही हैं।
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता रही – प्रतिपाल सिंह गुर्जर
इस विकट समस्या को लेकर सपा के माधौगढ विस अध्यक्ष प्रतिपाल सिंह गुर्जर सीधे तौर पर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता बता रहे हैं। उन्होंनेे कहा, जल संस्थान भी इतनी पुरानी परियोजनाओं को डैड मान लेता है लेकिन लोगों के स्वास्थ्य की परवाह किए बिना गंदगी युक्त वाटर सप्लाई जारी है। लंबे समय से ही कस्बे की पाइपलाइन के पुनर्गठन की जरूरत को महसूस किया जा रहा है लेकिन जल संस्थान, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता के चलते यह योजना परवान नहीं चढ पाई है, मुख्यमंत्री का ध्यान इस तरफ आकृष्ट कराना भी जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी थी।
पालिका की पहुंच बहुत ही सीमित है – डॉ. सरिता
सीवर की गंदगी युक्त वाटर सप्लाई और योगी आदित्यनाथ की परियोजनाओं को जोड़ कर देखने की जरूरत पर पालिकाध्यक्षा डॉ. सरिता वर्मा का कहना है पालिका सीवर सफाई तो करा सकती है लेकिन ऐसेे मामलों के लिए उसकी पहुंच बहुत ही सीमित है और यह बिषय जल संस्थान के अधिकारियों तथा इलाके केे जनप्रतिनिधियों केे बीच का है। इस तरह की परियोजनाओं मेें बड़े जनप्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैै। निश्चित रूप से कहीं न कहीं पैरोकारी में कमी रह गई होगी जो यह मामला सीएम के पटल तक नहीं पहुंच सका। उन्होंनेे उम्मीद जताई कि सत्ता पक्ष में बैैठेे जनप्रतिनिधि यह आवाज ऊपर तक जरूर पहुंचाएंगे।