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कोरोना संकटकाल में अपनी जान की परवाह न कर दूसरे के जीवन की रक्षा कर रहे डाक्टर्स

उरई/जालौन। एक जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। यह दिन सभी डॉक्टरों को उनकी सेवा के लिए धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है। डॉक्टर को इंसान के रूप में भगवान के समान माना जाता है। यह आज के संदर्भ एक दम सटीक हो सकता है जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी की चपेट में है । ऐसे में डॉक्टर्स अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरों के जीवन की रक्षा कर रहे हैं। भारत में डॉक्टर्स को सम्मान देने के लिए हर साल राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। सीएमओ के अधीन चिकित्सकों की सूची में 65 नियमित चिकित्सक, 30 संविदा चिकित्सक, 18 जिला अस्पताल में चिकित्सक, 07 जिला महिला अस्पताल में चिकित्सक।
नदीगांव सीएचसी को दिलाया राष्ट्रीय स्तर का सम्मान
नदीगांव सीएचसी के प्रभारी डॉक्टर देवेंद्र कुमार भिटोरिया ने अगस्त 2012 में चिकित्सा अधीक्षक के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। मध्य प्रदेश बार्डर वाले इस सीएचसी में लोगों को उस तरह की सुविधाएं नहीं मिल रही थी, जैसी मिलने चाहिए थे लेकिन डा. भिटौरिया ने जिला स्तरीय अधिकारियों से संपर्क कर व्यवस्थाओं में सुधार किया। वर्ष 2013-14 में सर्वाधिक महिला नसबंदी कर प्रदेश स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त किया। 2014-15 में महिला नसबंदी में प्रदेश में पुनरू द्वितीय स्थान मिलने पर चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने सम्मानित किया। वर्ष 2015.16 में ही जिला कुष्ठ अधिकारी के पद पर कार्य किया। 11 अगस्त 2016 में सीएचसी के कायाकल्प की तैयारी शुरु की। वर्ष 2016-17 में ही सीएचसी को क्वालिटी एश्योरेंस के लिए चयनित किया गया। वर्ष 2017.18 में प्रदेश में कायाकल्प योजना के अंतर्गत पांचवा स्थान पाया तो वर्ष 2018 19 में कायाकल्प योजना में फिर प्रतिभाग किया और प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया। यही नहीं वर्ष 2019.20 में नेशनल क्वालिटी के लिए चयनित किया गया। नेशनल क्वालिटी सर्टिफिकेशन 92.7 प्रतिशत से प्राप्त किया।
कई महिलाओं को ब्लड चढ़ाकर बचाई जान –
जिला अस्पताल में तैनात डाक्टर एमके वर्मा ने जिला महिला अस्पताल में उस समय कार्यभार संभाला जब यहां डाक्टरों की कमी थी। ऐसी स्थिति में भी काम करके महिला एवं पुरुष नसबंदी की। यही नहीं कई ऐसी महिलाओं को ब्लड चढ़ाने का काम किया जिन्हें रेफर करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता था। समय से ब्लड चढ़ाकर उनकी यहीं पर जान बचा ली गई। डा एमके वर्मा बताते है कि उन्होंने हमीरपुर जनपद में 2006 से नौकरी शुरु की। राठ सीएचसी में सर्वाधिक सुरक्षित प्रसव कराकर रिकार्ड बनाया था। इसके बाद मार्च 2019 में जिला महिला अस्पताल में ज्वाइनिंग की। उनके पिता गाजियाबाद में जिला होम्योपैथिक अधिकारी पद से 2009 में सेवानिवृत्त हुए है। घर में पत्नी शिल्पा और एक आठ साल की बेटी है। कई बार काम का दबाव आया लेकिन परिवार के साथ तालमेल कर काम जिम्मेदारी से निभाया। कोरोना काल में भी काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौर में कई मरीजों के साथ कई लोग आ जाते है। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है। इसे रोकने की जरूरत है। लोग सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें।
मानसिक रोगों का निदान कियाए कोरोना में भी दे रहे सलाह –
जिला पुरुष चिकित्सालय में लगभग ढाई साल तक मानसिक रोग विशेषज्ञ के रुप में कार्य कर चुके डॉ० तारा शहजानंद इस समय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कुदारी में प्रभारी चिकित्साधिकारी के पद पर कार्यरत है। डॉ० तारा बताते है कि उनके पिता पशुपालन विभाग में थे। लिहाजा उनकी 2009 में पशुपालन विभाग में नौकरी लग गई थी। लेकिन उनकी इच्छा ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की सेवा करने की थी। इसके चलते उन्होंने वर्ष 2011 में एमबीबीएस में दाखिला ले लिया। सितंबर 2017 में संविदा चिकित्सक के रुप में जिला अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य इकाई में चयन हो गया। जहां रोजाना कई मरीजों को मानसिक रोगों को दूर किया। इस समय कुदारी में तैनात डॉ० तारा कहते है कि कोरोना संक्रमण के दौर में लोगों को सोशल डिस्टेसिंग और मास्क का प्रयोग करना चाहिए। कोरोना संक्रमण में डाक्टरों की भूमिका और बढ़ गई है। देश सेवा का जुनून लोगों की दुआएं चुनौतियों से लडऩे की हिम्मत और ताकत देती है।
सभी डाक्टर कर रहे कर्मठता से काम –
एसीएमओ आरसीएच डॉ० बीएम खैर का कहना है कि जिले में सभी डाक्टर पूरी कर्मठता से काम कर रहे हैं। सभी अपने क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल किए हुए हैं। और वह हर माहौल में काम करने को तत्पर रहते हैं।

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