– खनिज विभाग का काशीखेड़ा बैरियर वैध था या अवैध कालपी/जालौन। कालपी तहसील के जोल्हूपुर से हमीरपुर स्टेट हाइवे पर काशीखेरा में चल रहे खनिज चेक पोस्ट की हकीकत शुक्रवार की देर शाम सामने आ गई। वहां एनआर व ओवरलोडिंग के नाम पर चल रहे गोरखधंधे की गूंज प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारी तक पहुंचने के बाद प्रशासन ने उसे बंद करा दिया लेकिन खनिज विभाग का यह चेक पोस्ट अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है जिनका जवाब हाल फिलहाल किसी के पास नहीं है।
मालूम हो कि खनिज चेक पोस्ट के नाम पर अवैध उगाही का धंधा कोई नया नहीं है। यह कार्य बीते डेढ़ दो दशकों से जारी है। पहले यह चेक पोस्ट कालपी यमुना पुल पर हुआ करता था। हाइवे निर्माण के चलते इसे मोतीनगर गांव के समीप शिफ्ट कर दिया गया था लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान नेशनल हाइवे अथॉरिटी के अधिकारियों ने सचल दल के नाम पर खनिज चेक पोस्ट को अवैध बताते हुए शासनादेश दिखाने के बाद इसे यहां से हटवा दिया गया तथा कुछ समय तक बंद रहा।
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तथा सूबे में योगी सरकार बनी तो कुछ समय तक सबकुछ ठीक चला लेकिन फिर वही दौर आया और काशीखेरा में बीते वर्ष खनिज चेक पोस्ट स्थापित हुआ तथा एक मामले में रातोंरात वहां तैनात लोगों को भागना पड़ा था। इस वर्ष भी इस चेक पोस्ट को खनिज विभाग ने बहाल किया तथा जनवरी से यह चेक पोस्ट संचालित था लेकिन अचानक गुरुवार की रात्रि में प्रदेश की राजधानी के एक ट्रांसपोर्टर की तीन गाडिय़ां रोकना खनिज विभाग को महंगा पड़ गया।
बताया जाता है कि उक्त तीनों ट्रक पड़ोसी जनपद के एक शासकीय अधिकारी के यहां मौरम लेकर जा रहे थे लेकिन खनिज बैरियर में तैनात लोग यह समझ न सके कि यह इतने रसूखदार लोग हैं जो तीनों ट्रकों को पास करवाना चाह रहे थे। उनमें व खनिज चेक पोस्ट में तैनात लोगों में काफी झड़पें हुई तथा ट्रकों को बंद कर दिया गया।
मामला इतना बढ़ा गया कि इसकी गूंज लखनऊ तक पहुंच गई तथा आनन फानन में शुक्रवार की देर शाम खनिज चेक पोस्ट का काशीखेरा से अस्तित्व समाप्त हो गया। खनिज चैक पोस्ट वहां से समाप्त जरूर कर दिया गया लेकिन कई एेसे सवाल छोड़ गया जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। ओवरलोड ट्रकों व एआर के नाम से हुई जमकर लूटखसोट की चर्चा जोरों पर है।