उरई/जालौन। मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में तैनात वरिष्ठ लिपिक की पत्नी ने जिलाधिकारी को चिकित्सा विभाग के आलाधिकारियों द्वारा उत्पीड़न किए जाने के मामले को लेकर शिकायती पत्र दिया है।
शिकायती पत्र में किरन शर्मा पत्नी रामनरेश शर्मा ने बताया कि उनके पति मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय उरई में वरिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत हैं जो कि साठ प्रतिशत विकालंग, हाई ब्लड प्रेशर, शुगर व फालिस के मरीज हैं। उनका स्थानांतरण शासन द्वारा कार्यालय मुख्य चिकित्साधिकारी उरई से मुख्य चिकित्साधिकारी औरैया के अधीन जून 2019 में किया गया था जिसका प्रत्यावेदन शासन को मुख्य चिकित्साधिकारी उरई द्वारा निदेशक प्रशासन लखनऊ को पहुंचाया गया था परंतु प्रत्यावेदन पर एक वर्ष व्यतीत होने पर भी शासन द्वारा कोई विचार नहीं किया गया और न ही प्रत्यावेदन के सापेक्ष मुख्य चिकित्साधिकारी उरई द्वारा कभी शासन को लिखा गया। इसके बाद वह अपने पति के साथ शासन द्वारा शासनादेश विपरीत स्थानांतरण पर उच्च न्यायालय की शरण में गए परंतु उच्च न्यायालय द्वारा यह गया कि चार माह के लिए निदेशक प्रशासन के आदेश का अनुपालन करें। इसके पश्चात उसके पति द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी से कार्यमुक्त करने का आदेश देने को कहा परंतु सीएमओ द्वारा मना कर दिया गया। उसने आरोप लगाया कि इस काम के लिए रुपयों की भी मांग की गई थी जिस पर उनकी डिमांड को भी पूरा किया गया तथा माह जून से जनवरी का वेतन नियमित रूप से दस हजार रुपए मासिक देकर उसके पति का वेतन निकालती रही। जब उसके पति ने रुपए देने से इनकार कर दिया तो फरवरी से वेतन रोक दिया गया जिसका शासन से वेतन रोके जाने पर अनुमोदन नहीं लिया गया। वेतन न मिलने के चलते उसका परिवार भुखमरी की कगार पर है। महिला ने जिलाधिकारी से निवेदन किया कि शासन द्वारा विचार होने तक उसके पति को कार्यमुक्त न किया जाए जिससे उसका परिवार चलता रहे।