– स्वास्थ्य, पुलिस, सफाई कर्मियों एवं पत्रकारों के सम्मान तक सीमित होकर रह गए समाजसेवी
उरई/जालौन। कोरोना महामारी में जिन योद्धाओं ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा व ईमानदारी से किया उन्हीं को कोरोना वारियर्स की श्रेणी से बाहर रखा गया। इस महामारी में स्वास्थ्य विभाग, सफाई कर्मी व पुलिस विभाग के साथ साथ पत्रकारों को कोरोना योद्धा से कई सामाजिक संस्थाओं ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। हालांकि यह जरूरी भी था क्योंकि ऐसे समय में हौसला आफजाई करना जरूरी होता है।
लेकिन इन सभी विभागों से अधिक जिम्मेदारी जिलाधिकारी कार्यालय के राजस्व विभाग ने जिस जिम्मेदारी व लगन से मजदूरों को खाना खिलाने से लेकर उन्हें उनके घर पहुंचाने में सहयोग किया वह वाकई काबिले तारीफ है। जिले में लगभग पैंतीस हजार मजदूर अपने घर विभिन्न प्रांतों से लौटकर आए। जिले में लगभग पच्चीस ट्रेनें व एक सैकड़ा बसों से यह मजदूर लाए गए थे। इसके अलावा बीस ट्रेनें ऐसी भी थी जो उरई स्टेशन पर रुकी जिनसे लगभग सात से आठ हजार मजदूर यहां उतरे। इनके खाना पानी ठहराने का बंदोबस्त किया। यही नहीं ये सभी क्वारंटीन किए गए थे जिनकी चौदह दिनों तक निगरानी रखने की जिम्मेदारी भी इन्हीं कर्मियों की थी। साथ अपर जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी, नायब तहसीलदार, तहसीलदार ने दिन रात एक कर मजदूरों का ध्यान रखा। एक दिन में पांच से छह ट्रेनों का आना हुआ जिसमें सात से आठ हजार भूखे मजदूरों को खाना पानी खिलाकर उन्हें उनके जिले में बसों द्वारा भेजने का काम किया।
इसके साथ साथ जो मजदूर अन्य प्रांतों से जिले में आए उनको सरकार द्वारा जो भी मदद का एलान हुआ उसको उनके खातों में धनराशि डालकर मजदूरों को खुश करने का काम किया। जिलाधिकारी डा. मन्नान अख्तर के कुशल नेतृत्व से जिले में सभी मजदूरों के हितों के कार्यों को समय से पूर्ण किया गया। बुंदेलखंड में जालौन ही ऐसा जिला है जहां मजदूरों ने भूख प्यास के चलते हंगामा नहीं किया। उपजिलाधिकारी सतेंद्र कुमार सिंह को जिलाधिकारी ने प्रवासी मजदूरों को उनके गृह जनपद पहुंचाने का जिम्मा दिया था। इसके साथ साथ जनपद के मजदूरों को सकुशल उनके घर पहुंचाने के लिए उन्हीं की जिम्मेदारी थी।
शहर से लेकर गांंव तक के मजदूरों का खुद ध्यान व उनके खाते में नकदी भेजने का दायित्व भी इन्हीं के कंधों पर था। इन सब कार्यों का सकुशल निर्वाहन करने वाले असली वारियर्स को सरकार की उपेक्षा झेलनी पड़ रही है। इसी के साथ किसी भी समाजसेवी को भी इन योद्धाओं का काम नहीं दिखा। जिले में शासन द्वारा भेजे गए नोडल अधिकारी से लेकर लेखपालो ने अपनी दायित्वों को बखूबी से निभाया लेकिन दुर्भाग्य है कि इनके कार्यों को किसी ने देखा नहीं या देखा है तो अनदेखा कर दिया।