लखनऊ। डेंटल सर्जंस देश के मेडिकल सिस्टम का अभिन्न अंग है परन्तु कोरोना जैसी महामारी के चलते डेन्टल सर्जन अपनी सेवाएँ नही दे पा रहे है। जिसका खामियाजा पूरे देश को उठाना पड़ रहा हैं। सरकारी आदेश और सुरक्षा उपकरणों के अभाव के प्रमुख कारण की वजह से डेन्टल क्लीनिक बन्द होने के कारण पेसेंट दर दर भटक रहे है।
डेन्टल सर्जंस एसोसिएशन ऑफ़ इण्डिया के सचिव डॉ० रोबिन मलिक ने बताया की COVID-19 महामारी के कारण, भारत में दंत चिकित्सक बहुत बुरी तरह प्रभावित हैं। डेंटल सर्जंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया (DSAI) की तरफ से प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, ड़ेंटल काउंसिल ऑफ़ इन्डिया और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मेल किया गया ऑनलाइन पिटिशन भी शुरू किया गया जिसमे लगभग 6500 डेन्टल सर्जन ने भाग लिया। ट्विटर पर ” सेव डेन्टिस्ट सेव डेन्टिस्ट्री “कैम्पेन भी चलाई जा रही है। निजी क्षेत्र के डेंटल सर्जन के वर्तमान हालातों से सरकार को अवगत कराया जा रहा है।
कैम्पेन कोआर्डिनेटर डॉ० अखिलेश त्रिपाठी ने बताया कि देश के हर कोने से हमसे ड़ेंन्टल सर्जन जुड़ रहे है सरकार ने हमारी मदद नही की तो हम कोर्ट के तरफ रुख करने की तैयारी मे भी है। एसोसिएशन हर सम्भव प्रयास के लिए तत्पर है। इस महामारी के कारण दंत चिकित्सा बुरी तरह प्रभावित है। डेंटल सर्जन अगले 3 से 4 महीनों काम करने में सक्षम नहीं होंगे ।
डब्लूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, डेंटल सर्जन सबसे अधिक जोखिम में हैं, क्योंकि वे एयरोसोल-जनरेट करने की प्रक्रिया करते हैं। मानव-से-मानव संचरण में लार की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। COVID-19 के साथ रोगियों पर प्रक्रियाओं के दौरान पैदा होने वाले हवाई कणों और एरोसोल का साँस लेना डेंटल पेशेवर और उनके कर्मचारियों के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
पूरे देश मे लगभग 2 लाख से ज्यादा ड़ेंटिस्ट और उन पर निर्भर लगभग 10 लाख लोगो का जीवनयापन प्रभावित हुआ है। भारत में युवा डेंटल सर्जनों की स्थिति अच्छी नहीं है और इस महामारी ने स्थिति को और भी खराब बना दिया है। इन डॉक्टर्स का क्लीनिक ही केवल आय का स्रोत हैं। लेकिन लॉक डाउन के कारण डेन्टल सर्जन अपनी क्लीनिक मे डेन्टल सेवाए देने मे असमर्थ है। कई युवा डेंटल प्रोफेशनल्स, डेंटल सर्जन, डेंटल पोस्ट ग्रेजुएट व प्रैक्टिशनर्स ने प्रैक्टिस या क्लीनिक को व्यावसायिक क्षेत्रों में स्थापित करने के लिए बैंक ऋण का लाभ उठाया है जिन्हें किराये, ईएमआई बिजली का बिल अन्य मासिक खर्चों जैसे कि कर्मचारियों का वेतन, घरेलू बुनियादी खर्च, चलाना मुश्किल हो रहा है। महामारी COVID-19 के कारण वित्तीय असुरक्षा डेन्टल सर्जन के लिए एक बड़ा खतरा है।
डॉ० शैलेन्द्र तोमर ओरल सर्जन और डा जतिन अनेजा नेशनल प्रेसीडेन्ट डीएसडब्लूयएआई ने संयुक्त रुप से बताया कि लॉक डाउन पीरियड समाप्त होने के बाद भी कई महीने डेंटल सर्जन अपनी सेवायें शुरू करने मे असमर्थ होंगें क्योंकि लगभग 80% प्रक्रियाओं में एरोसोल होता है।
डॉ० रोबिन मलिक सचिव डेन्टल सर्जन ऐसोशिएन ने बताया कि भारत सरकार से हमारी प्रमुख मांगे है कि ड़ेंटल सर्जन को covid 19 मेडिकल इमरजेन्सी के समय कम से कम 6 महीने सरकारी सेवांओ मे लगायें ज़िससे देश मे जो डॉक्टरों की कमी है उसको पूरा किया जा सके। ड़ेंटल सर्जन अपनी सेवा सरकार को देने के लिए तत्पर है। महामारी मे डेन्टल सर्जन की सेवाएँ सार्थक होगी और डेन्टल सर्जन की आर्थिक स्थिति मे सुधार भी होगा ।
पीपीई किट व अन्य सुरक्षा उपकरण सभी निजी डेन्टिस्ट को फ्री मे प्राथामिकता के तौर पर उपलब्ध कराए जायें। जिससे डेन्टल सर्जन सुरक्षित हो के लाकडाउन के बाद काम कर सकेंगे। डेन्टिस्ट के बैंक लोन व बिजली का बिल माफ किया जाए और विशेष राहत पैकेज भी मिले। एसोसिएशन के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ मनीष पाण्डेय ने कहा है कि हम सभी के प्रयासों की वजह से डेण्टल कॉउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रदेश के सभी स्वास्थ्य सचिव से प्राइवेट दंत चिकित्सकों एवं प्राइवेट डेंटल क्लीनिक के लिए बेल आउट पैकेज (इकोनोमिकल पैकेज) के लिए कहा है ।