माधौगढ़/जालौन। नगर पंचायत माधौगढ़ के अंतर्गत चलाई जा रही कान्हा गौशाला में अव्यवस्थाओं को लेकर सत्ताधारी दल भाजपा के नेताओं ने चुप्पी साध ली है तो अन्य संगठनों ने इसमें शिकायतें कर आंदोलन को धार देने की कवायद शुरू कर दी है। गौशाला में तड़प तड़प कर जान दे रहे गौवंशों के लिए लोगों ने कई तरह से न्याय के तरीके अपनाए हैं।
युवाओं की टीम सोशल मीडिया पर कैंपेन चला रही है तो कोई अधिकारियों को ज्ञापन देकर विरोध दर्ज करा रहा है लेकिन अब मामला मूक विरोध प्रदर्शन तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि शिकायती पत्रों के माध्यम से उच्चाधिकारियों तक पहुंचने लगा है। गौशाला की घटना में सात दिन गुजरने के बाद भी गौवंश की मौत पर न कोई कार्रवाई हुई न कोई जांच। इससे कुपित होकर लोगों ने सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को सभी साक्ष्यों के साथ में शिकायती पत्र भेजा है। यही नहीं गौहत्या और पशु क्रूरता का मामला दर्ज कराने के लिए गौसेवा आयोग और जीव जंतु कल्याण बोर्ड भारत सरकार में भी शिकायत दर्ज कराई है। गौशाला के घोटाले और अत्याचार में जो भी शामिल होगा अब उसका बच पाना बहुत मुश्किल है। शासन स्तर पर हो रही लगातार शिकायतों से नगर पंचायत प्रशासन की जान तो हलक में अटकी ही है साथ ही प्रशासन के कुछ अधिकारी भी पसीने पसीने हैं। इस पूरे मामले की गाज किस किसके ऊपर गिरेगी यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन यह जरूर तय है कि गौवंश के ऊपर हुए अत्याचार का हिसाब बराबर होगा।
गौवंशों की गिनती पूरी करने का जतन शुरू –
जांच के भय से नगर पंचायत प्रशासन गौवंशों की गिनती पूरी करने के जतन में जुट गया है। रोज सडक़ों और बाजार से गौवंशों को पकड़कर गौशाला में ले जाया जा रहा है ताकि कैसे भी 195 टैग वाले गौवंश पूरे हो जाएं लेकिन जनता के सडक़ों पर उतरने के बाद अध्यक्ष राजकिशोर गुप्ता नगर पंचायत प्रशासन के ऊपर दोष मढ़ते हुए सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि गौशाला में गौवंश थे ही नहीं सिर्फ कागजों में थे तो वहीं कार्यालय प्रशासन ने भी बिना पोस्टमार्टम के जमीन में गाड़े गौवंशों का हिसाब नहीं दिया है।