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पानी की किल्लत से जूझ रहे लाल सोना उगलने वाले गांव के बाशिन्दे

कदौरा/जालौन। सरकार के राजस्व में इजाफे में कुदरत का बहुत बड़ा रोल है जिसमें खनन सहित अन्य धरोहरों से सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व प्राप्त होता है लेकिन निजस्वार्थ के लिए कुछ लोग इन धरोहरों का इस कदर दोहन करने में जुटे हैं कि उसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ता है। एेसा ही हाल है पूरे प्रदेश में लाल सोने के लिए मशहूर कदौरा क्षेत्र के भेड़ी खुर्द गांव का जहां लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। यहां की पहचान मौरम खदानें ही अब यहां के लिए अभिशाप बन गई हैं। बेतवा की तलहटी में बसे इस गांव का हाल इस गर्मी में राजस्थान के रेगिस्तान से कम नहीं है। एक बाल्टी पीने के पानी के लिए लोगों को हैंडपंपों पर घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है जबकि एक एक बाल्टी पानी के लिए आए दिन लड़ाई झगड़ा होना आम बात हो गई है। इस गांव में झांसी डिवीजन जल संस्थान की इकाई भी स्थापित है और गांव में पच्चीस सरकारी हैंडपंप तथा आठ से दस कुंए भी हैं जो चार हजार की आबादी वाले इस गांव के लिए नाकाफी साबित हो रहे हैं। जल स्तर इतना नीचे चला गया है कि हैंडपंप और कुंए जवाब दे चुके हैं। जल संस्थान की इकाई के द्वारा स्थापित टंकी भी जर्जर हालत में है। पूरी तरह से विस्मार हो चुकी पानी की टंकी भी लोगों की प्यास नहीं बुझा पा रही हैं। पिछले तीन दिनों से टंकी का बाल्व खराब होने से टंकी में ऊपर पानी तो पहुंचता है मगर तुरंत निकल भी जाता है जिससे टंकी भर नहीं पाती है और सप्लाई सुचार रूप से नहीं हो पा रही है जिससे ग्रामीणों में परेशान होने के कारण रोष व्याप्त है। कई बार शिकायतों के बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। मुखिया का मंदिर वाले मोहल्ले में तीन सौ परिवारों की लगभग एक हजार की आबादी एक हैंडपंप पर निर्भर है जिससे महिलाओं और बच्चों को घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। मलिन बस्ती के ग्रामीण चुन्नीलाल, छिद्दू, मुकुंदा, बालू, राजकुमारी, संपत देवी आदि बताते हैं कि हैंडपंप तो काफी मात्रा में गांव में स्थापित हैं मगर पानी नहीं दे रहे हैं जिससे उन्हें पानी की समस्या से दो चार होना पड़ा रहा है। बच्चे और जानवर तो बेतवा की जलधारा से किसी तरीके से अपनी प्यास बुझा लेते हैं मगर बुजुर्ग और महिलाओं का बुरा हाल है। सोनिल सिंह अनुराग, विजय, शुभम आदि का कहना है कि यहां की खदानों में बेतरतीब तरीके से मौरम निकली जा रही है जिससे नदी में बड़े पैमाने पर सैकड़ों फीट गहरे गड्ढे हो गए हैं जिससे इस पूरे एरिया का जल स्तर का नीचे जाना लाजिमी है। जब तक सरकारी मानक के अनुसार मौरम नहीं उठाई जाएगी तब तक यह समस्या बरकरार रहेगी। जल संस्थान के अवर अभियंता सभापति यादव का कहना है कि समस्या उनके संज्ञान में है। आउटपुट बाल्व में कुछ खराबी थी जिसको सही करवाकर टंकी को जल्द ही चालू करवाया जाएगा।

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