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विश्वास करें या न करें, राहुल गांधी की राष्ट्रीय स्वीकार्यता 0.58 प्रतिशत है: सर्वे
नई दिल्ली: ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुद्ध (नेट) राष्ट्रीय स्वीकार्यता की रेटिंग 66 प्रतिशत है, आप विश्वास करें या न करें विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के चेहरे राहुल गांधी की रेटिंग केवल 0.58 प्रतिशत है। आईएएनएस-सीवोटर स्टेट ऑफ द नेशन 2020 सर्वे के मुताबिक, राज्यों में केवल 18.63 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे राहुल गांधी से बहुत संतुष्ट हैं, जबकि 25.06 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे कुछ हद तक संतुष्ट हैं। हालांकि 43.11 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं।
कांग्रेस के लिए चिंता की बात यह है कि राहुल की सबसे अच्छी स्वीकार्यता रेटिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे खराब रेटिंग के करीब है। राहुल को सबसे ज्यादा बढ़त तमिलनाडु में मिली है, जहां मोदी की रेटिंग सबसे खराब है। हालांकि अपने सर्वोत्तम प्रदर्शन में भी राहुल को सिर्फ 36.12 प्रतिशत स्वीकार्यता मिली है। राहुल केरल से सांसद चुने गए थे, जो कि उनका दूसरा सबसे बढ़िया प्रदर्शन स्थल है। आंकड़ों पर गौर करें तो, मोदी की सबसे कम रेटिंग 32.15 प्रतिशत है।
वहीं, 38.94 प्रतिशत केरलवासियों का मानना है कि वे राहुल गांधी के प्रदर्शन से बहुत संतुष्ट हैं। जबकि 32.49 प्रतिशत का कहना है वे उनके प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं। सर्वे में उनका तीसरा सबसे बेहतरीन प्रदर्शन असम में रहा, जो कभी कांग्रेस का गढ़ रहा था। लेकिन उनकी तीसरी सबसे अच्छी रेटिंग में, उन्हें केवल 15.32 प्रतिशत स्वीकाकर्यता मिली है जो कि मोदी की सबसे खराब रेटिंग का आधा है, जो उन्हें केरल में मिली थी।
वास्तव में, केवल छह राज्य या क्षेत्र ही ऐसे हैं, जहां उनकी रेटिंग दहाईं आंकड़ों में हैं। बाकी राज्यों में उनकी रेटिंग या तो एक डिजिट में है या नकारात्मक है। ऐसे राज्यों में जहां कांग्रेस शासन कर रही है या पहले शासन किया था, सर्वे में शामिल लोग उनके प्रति बहुत ज्यादा आशावान नहीं हैं। सीवोटर के यशवंत देशमुख ने कहा, “उदाहरण के लिए, कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में, राहुल की स्वीकार्यता केवल 5.41 प्रतिशत है। यहां तक की छत्तीसगढ़ जैसे कांग्रेस शासित राज्य में, मोदी को भूल जाइये, वे स्वीकार्यता के मामले में अपने मुख्यमंत्रियों से ही मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं।”